भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन आने वाले प्रमुख उपक्रम, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) ने भारतीय नौसेना के लिए आठ अगली पीढ़ी के कॉर्वेट्स (NGC) के निर्माण में सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी (एल1) बनकर एक बड़ी कामयाबी हासिल की है।
इस महत्वपूर्ण घोषणा को 22 मई, 2025 को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (NSE) और बीएसई लिमिटेड को भेजी गई एक रेगुलेटरी फाइलिंग के माध्यम से सार्वजनिक किया गया।
जानकारी के अनुसार, मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफ़ेन्स (MoD) की कमर्शियल नेगोशिएशन कमेटी (CNC) द्वारा 21 मई, 2025 को नई दिल्ली में बुलाई गई एक अहम बैठक में GRSE को इस प्रतिष्ठित एनजीसी प्रोजेक्ट के लिए एल1 बिडर घोषित किया गया।
इस महत्वपूर्ण सफलता के बाद, कंपनी को आठ में से पांच कॉर्वेट बनाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया जाएगा, जिसकी अनुमानित लागत ₹25,000 करोड़ से भी अधिक है। यह उपलब्धि भारत के डिफ़ेन्स मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में GRSE की बढ़ती भूमिका और आधुनिक नौसैनिक जहाजों के निर्माण में उसकी विशेषज्ञता को दर्शाती है।
अगली पीढ़ी के ये कॉर्वेट्स अत्याधुनिक तकनीक और डिज़ाइन से लैस होंगे, जो भारतीय नौसेना की ऑपरेशनल क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि करेंगे। यह प्रोजेक्ट डिफ़ेन्स उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता की मुहिम के अनुरूप है।
इन जहाजों में सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल (SSM) क्षमता, एंटी-मिसाइल डिफ़ेन्स प्रणाली, पनडुब्बी रोधी युद्ध (एंटी-सबमरीन वारफेयर - ASW) क्षमता और समुद्री निगरानी जैसी कई आधुनिक खूबियां होंगी।
साथ ही, इनमें 'ग्रीन वारशिप' डिज़ाइन सिद्धांतों को भी अपनाया जाएगा, जिसमें ऊर्जा कुशल और पर्यावरण के अनुकूल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होगा।
इन कॉर्वेट्स में दुश्मनों की नज़रों से बचने के लिए उन्नत स्टेल्थ फीचर्स भी होंगे, जिससे इनकी रडार, अकूस्टिक, मैग्नेटिक और इन्फ्रारेड सिग्नेचर कम होंगे।
ये नए कॉर्वेट्स नौसेना के पुराने खुखरी और कोरा क्लास के कॉर्वेट्स की जगह लेंगे।
GRSE को यह कॉन्ट्रैक्ट मिलना शिपबिल्डिंग उद्योग में उसकी मजबूत स्थिति को और भी पुख्ता करता है। कंपनी का भारतीय नौसेना, कोस्ट गार्ड और अन्य समुद्री बलों को अब तक 111 से अधिक युद्धपोत सफलतापूर्वक सौंपने का शानदार ट्रैक रिकॉर्ड रहा है, जिसमें 90% से अधिक स्वदेशी उपकरणों का उपयोग भी शामिल है, जो 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान की दिशा में एक बड़ा कदम है।
GRSE के कंपनी सेक्रेटरी और कंप्लायंस ऑफ़िसर, श्री संदीप महापात्रा ने फाइलिंग में कहा, "यह उपलब्धि शिपबिल्डिंग में GRSE की इनोवेशन और उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है। हमें भारत की नौसैनिक ताकत में योगदान करने पर गर्व है और हम इस प्रोजेक्ट को पूरी सटीकता के साथ पूरा करने के लिए तत्पर हैं।"