तिरुमाला तिरुपति मंदिर की सुरक्षा के लिए एंटी-ड्रोन तकनीक, नो-फ्लाई ज़ोन की मांग और अन्य महत्वपूर्ण निर्णय

तिरुमाला मंदिर की सुरक्षा के लिए एंटीड्रोन तकनीक नोफ्लाई ज़ोन की मांग और अन्य महत्वपूर्ण निर्...webp


दुनिया के सबसे धनी हिंदू मंदिर, श्री वेंकटेश्वर स्वामी की सुरक्षा को लेकर तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए एंटी-ड्रोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने का फैसला किया है। मंगलवार को हुई टीटीडी ट्रस्ट बोर्ड की बैठक में मंदिर की सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए यह निर्णय लिया गया।

हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस एंटी-ड्रोन प्रणाली में एडवांस्ड राडार और रेडियो फ्रीक्वेंसी सेंसर्स का उपयोग किया जा सकता है, जो अनधिकृत ड्रोनों की पहचान कर उन्हें निष्क्रिय करने में सक्षम होंगे।

यह फैसला बोर्ड के चेयरमैन बी. आर. नायडू की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया। गौरतलब है कि पहाड़ी मंदिर के आसपास ड्रोन उड़ाने पर पहले से ही पाबंदी है, लेकिन पिछले कुछ महीनों में सुरक्षा उल्लंघन की कुछ घटनाएं सामने आई हैं।

पिछले महीने ही, राजस्थान के एक यूट्यूबर को ड्रोन उड़ाकर कथित तौर पर मंदिर और उसके आसपास के वीडियो बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पिछले साल भी हरियाणा के एक दंपति को तिरुमाला घाट रोड पर ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल करते हुए पाया गया था। इन घटनाओं ने मंदिर की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी थीं।

सुरक्षा को और पुख्ता करने के लिए टीटीडी ने मार्च महीने में केंद्र सरकार से तिरुमाला पहाड़ी क्षेत्र को 'नो-फ्लाई ज़ोन' (उड़ान निषिद्ध क्षेत्र) घोषित करने का भी आग्रह किया था। टीटीडी के चेयरमैन ने केंद्रीय उड्डयन मंत्री के. राम मोहन नायडू को पत्र लिखकर आगम शास्त्र के सिद्धांतों, मंदिर की पवित्रता, सुरक्षा और भक्तों की भावनाओं का हवाला देते हुए यह मांग की थी।

टीटीडी का मानना है कि पहाड़ी पर किसी भी तरह की हवाई गतिविधि मंदिर के पवित्र वातावरण को भंग करती है। इस संबंध में, नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि मौजूदा नियमों में औपचारिक 'नो-फ्लाई ज़ोन' का प्रावधान न होते हुए भी, उड़ानों को वैकल्पिक मार्गों पर मोड़ने के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ चर्चा जारी है।

मंगलवार को हुई बोर्ड बैठक में कुछ और भी अहम निर्णय लिए गए। टीटीडी में कार्यरत गैर-धार्मिक कर्मचारियों को वैकल्पिक तरीकों से स्थानांतरित करने या उन्हें वॉलंटरी रिटायरमेंट स्कीम (वीआरएस) देने की प्रक्रिया को भी मंजूरी दी गई। इसके अलावा, "डीडी नेक्स्ट लेवल" नामक फिल्म के निर्माताओं द्वारा गोविंदा नामावली का रीमिक्स बनाने पर भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का भी फैसला किया गया है।

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी टीटीडी ने एक बड़ा कदम उठाया है। बोर्ड ने मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के निर्देशानुसार, तिरुमाला पहाड़ियों पर मौजूदा 68.14 प्रतिशत हरित क्षेत्र को वन विभाग के माध्यम से बढ़ाकर 80 प्रतिशत करने की योजना को हरी झंडी दे दी है। इस कार्य के लिए टीटीडी वन विभाग को चरणबद्ध तरीके से 4 करोड़ रुपये जारी करेगा, जिसमें वर्ष 2025-26 के लिए 1.74 करोड़ रुपये, 2026-27 में 1.13 करोड़ रुपये और 2027-28 में 1.13 करोड़ रुपये शामिल हैं।

स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। बोर्ड ने एसवीआईएमएस (श्री वेंकटेश्वर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल को दी जा रही 60 करोड़ रुपये की मौजूदा वित्तीय सहायता के अतिरिक्त 71 करोड़ रुपये प्रति वर्ष और देने की स्वीकृति दी है। यह हॉस्पिटल रायलसीमा क्षेत्र में कई गरीब और जरूरतमंद लोगों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहा है। साथ ही, एसवीआईएमएस में डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ के खाली पड़े पदों पर भर्ती करने और निर्माणाधीन भवनों को जल्द पूरा करने का भी निर्णय लिया गया।

इसके अतिरिक्त, श्रीवारी सेवा वॉलंटरी सर्विस की तर्ज पर जल्द ही 'श्रीवारी वैद्य सेवा' शुरू करने का भी निर्णय लिया गया। इस पहल के अंतर्गत चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञ डॉक्टरों को मरीजों की स्वैच्छिक सेवा के लिए आमंत्रित किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक लोगों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सहायता मिल सके।
 
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